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जनता एक और भ्रष्ट और तानाशाह प्रकृति के व्यक्ति को कैसे करे बर्दाश्त ?

एक नजर इधर भी
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ramdev baba supporters beatenदिल्ली में जारी एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव के चेहरे पर एक शख्स ने स्याही फेंकी. जवाब में उनके समर्थकों ने तनिक भी देरी न करते हुए जमकर और पूरे मन से उस शख्स की पिटाई कर दी. रामदेव के ऊपर स्याही फेंकना एक बड़ा मामला था. इसलिए स्याही फेंकने वाले के तार किसी और पार्टी से जोड़े जाने लगे. खबर आने लगी कि जिस व्यक्ति ने रामदेव के चेहरे पर स्याही फेंकी थी वह बीजेपी कार्यकर्ता है. 2009 के चुनाव में उसने बीजेपी के एक नेता की सहायता की थी.


उधर राजनीतिक गलियारों में हर पार्टी की तरफ से स्याही फेंकने की निंदा की जा रही थी कि 16 जनवरी, सोमवार को रामदेव के समर्थकों ने सबको चौंकाते हुए नई दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय जाकर प्रदर्शन किया और सोनिया गांधी के पोस्टर पर कालिख पोत दी. जवाब में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे अपनी राष्ट्रीय अध्यक्षा का अपमान समझते हुए रामदेव के समर्थकों की पिटाई कर दी. लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि प्रेस कांफ्रेंस में रामदेव के चेहरे पर जिसने स्याही गिराई थी वह तो बीजेपी से संबंध रखने वाला व्यक्ति था और इसका मतलब यह हुआ कि बीजेपी के लोगों ने रामदेव का अपमान किया. तो उस हिसाब से रामदेव के कार्यकर्ताओं को लालकृष्ण आडवाणी या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी के उपर कालिख पोतनी चाहिए. लेकिन यहां तो उलटा ही प्रभाव देखने को मिला.


इससे तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि रामदेव और उनके समर्थकों को यह पता था कि स्याही फेंकने वाले ने कांग्रेस के इशारे पर रामदेव पर स्याही गिराई या फिर रामदेव के समर्थकों ने यह कसम खा रखी है कि देश में जो भी बुरा काम हो रहा है वह कांग्रेस के इशारे पर हो रहा है. इसलिए कांग्रेस के लोगों की बखिया उधेड़ो. ऐसा लगता है जैसे रामदेव और उनके समर्थको ने एक अभियान छेड़ रखा है कि लोगों के बीच कांग्रेस के लिए घृणा पैदा करो, देश में जो बड़ी समस्या है वह कांग्रेस की वजह से है इसलिए उसे वोट न दो, हर तरह का भ्रष्टाचार और कालाधन कांग्रेस पार्टी के अंदर है इसलिए इसका पत्ता साफ करो आदि.


भ्रष्टाचार और काला धन केवल कांग्रेस की वजह से ही हो रहा है तो यह सोचने की बात है. किसी एक पार्टी के विरुद्ध अभियान चलाना देश की जनता को गुमराह करने जैसा है. भ्रष्टाचार में देश की हर छोटी बड़ी पार्टी लिप्त तो है ही साथ ही रामदेव भी इससे नहीं बचे हैं. वह भी काले धन के पहाड़ पर विराजमान हैं. तमाम तरह की ऐसी संपत्ति अर्जित कर रखी है जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. वह दूसरे का घर साफ करने चले हैं उन्हें अपने घर की गंदगी दिखाई नहीं दे रही जो निरंतर बढ़ती जा रही है. उन्होंने जो काले धन का मुद्दा उठाया है वह लोगों के मर्म को छूने वाला मुद्दा है लेकिन उसकी आड़ में वह अपने काले धन को छुपा नहीं सकते.


एक संन्यासी का ढोंग रचा कर हजारों करोड़ का काला धन इकट्ठा करने वाले रामदेव बाबा के समर्थकों का कायराना व्यवहार रामदेव बाबा के राजनीतिक मंतव्यों की कलई खोलने के लिए काफी है और देश की पहले से ही पस्त जनता एक और भ्रष्ट और तानाशाह प्रकृति के व्यक्ति को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं.


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