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सचिन को भारत रत्न देना देश के साथ विश्वासघात के समान होगा !!

एक नजर इधर भी
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मेरी राय में सचिन या किसी भी ऐसे व्यक्ति को भारत रत्न नहीं दिया जा सकता जो व्यवसायिक गतिविधियों में संलग्न होकर केवल अपने लाभ के उद्देश्य से रिकॉर्ड बनाता हो. शायद सचिन में वह योग्यता कभी भी ना हो पाए जो उन्हें भारत रत्न के लिए उपयुक्त पात्र सिद्ध करे. यदि राजनीतिक कारणों से सचिन को भारत रत्न दे दिया जाता है तो इसे भारत रत्न का अपमान समझा जाना चाहिए. आप क्या सोचते हैं इस बारे में अपनी राय से अवगत कराएं.


sachin tendulkar with pepsi productअपनी कलात्मक बल्लेबाजी से विरोधियों के पसीने छुड़ाने वाले, अपने पहाड़ जैसे रनों और शतकों से युवा गेंदबाजों के होश उड़ाने वाले, छोटे से कद वाले सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की वजह से किसी न किसी चीज के शिकार जरूर हो जाते हैं. कभी वह अंडर नाइंटी का शिकार हो जाते हैं तो कभी कई सालों तक वर्ल्ड कप न दिलाने के शिकार. आज कल वह पिछले एक साल से शतक न लगने की बीमारी के शिकार हो चुके हैं. शतक उनसे कोसों दूर चला गया है जिसे खींच कर वापिस लाना एक टेढ़ी खीर के समान हो गया है. शतक न लगने का दबाव उनके खेल और चेहरे पर साफ तौर पर देखा जा सकता है.


चलिए छोड़िए यह तो खेल है. हरेक खिलाड़ी के जीवन में कभी अच्छा तो कभी बुरा दौर आता है और सचिन उसी दौर से गुजर रहे हैं. उनके इस प्रदर्शन से उनकी महानता कम नहीं होगी वह महान खिलाड़ी थे और आज भी हैं और यह बात विश्व के महान क्रिकेटरों ने भी कही है. लेकिन मेरा सवाल तो कुछ और है कि क्या उनकी यह महानता उन्हें भारत रत्न दिलाने के लिए काफी है. क्या महानता और मीडिया की लोकप्रियता के आधार पर भारत रत्न दिया जा सकता है? क्या कोई खिलाड़ी कुछ अच्छे रिकॉर्ड बना दे तो हम उसे भारत रत्न के लिए योग्य मान सकते हैं. विदेशी ब्रांडों का विज्ञापन करने वाले सचिन भारत के सर्वोच्च पुरस्कार को लेकर गर्व महसूस कर सकते हैं. उन्होंने अपने क्रिकेट रिकॉर्ड का फायदा बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों के लिए विज्ञापन देकर उन्हें लाभ पहुंचाने का काम किया है. जिस कोल्डड्रिंक को बनाने में कई तरह के केमिकल का इस्तमाल किया जाता है उसका वह प्रचार करते हुए दिखाई देते हैं.


आईपीएल में उनका खेलना ऐसा लगता है जैसे वह आईपीएल के ब्रांड एंबेसडर के रूप में खेल रहे हैं. अन्य खिलाडियों की तरह वह भी आईपीएल को बेहद ही पसंद करने लगे हैं. मुंबई इंडियंस के लिए उनका खेलना यह दर्शाता है कि वह मुकेश अंबानी के बिजेनस पार्टनर हैं. तभी तो नीलामी में सभी खिलाड़ी बदल जाते हैं लेकिन वह अपनी टीम में बने रहते हैं.


आईपीएल और कई तरह के आकर्षक ब्रांडों के प्रचार ने उन्हें फरारी कार और आलीशान मकानों का दीवाना बना दिया है. आज वह हर तरह की सुविधाओं से लैस हैं. अरबों रूपए की संपत्ति के मालिक हैं. ऐसे में कारोबारी और चकाचौंध भरी जिन्दगी के बाद क्या सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न के लिए काबिल माना जा सकता है. आज खेल के हरेक क्षेत्र में खिलाड़ियों को भारत रत्न देने की मांग उठ रही है. क्या देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार का मोल इतना ही है. अगर यही हाल रहा तो इस पुरस्कार की भी तस्वीर अन्य पुरस्कारों की तरह हो जाएगी.


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