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एक बार सांसद अपने खोए हुए मान-सम्मान को वापस पाने के लिए यात्रा पर निकले. उनका यह अभियान उस समय शुरू हुआ जब हर तरफ से उन्हें नीचा दिखाया जा रहा है. अन्ना टीम से लेकर मीडिया संस्थान भी उनके मान सम्मान को धूल में मिटाने में लगे हुए हैं. सांसदों का यह यात्रा 10 जनपथ दिल्ली से निकलेगा. सभी सांसद अपने मान सम्मान और खोए हुए इज्जत को तलाशने के लिए 10 जनपथ पर इकठ्ठे हुए. वहा फुल एसी बस उनके स्वागत में फुलों की माला लेकर खडी थी. सभी सांसद उस बस मे बैठ गए जिससे इस यात्रा का सुभाआरंभ हो गया.
बस अपनी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही थी. उसमे बैठे सांसद अपनी इच्छा से यात्रा का आनंद उठा रहे थे. अपने मान-सम्मान को तलाशते हुए सांसदो की यह बस चुनाव आयोग के घर पहुंची. सांसदों का एक नेता जो इस पूरे यात्रा का नेतृत्व कर रहा था उसने चुनाव आयोग से पुछा कि क्या आपने हमारी इज्जत को देखा है ऐसा लगता जैसे वह हमसे रूठ कर कही चली गई है. चुनाव आयोग– अरे भाई क्यों हमें तंग कर रहे हो, अगर तुम्हारे साथ किसी और ने हमें देख लिया तो भूचाल आ जाएगा. तुम्हारे अपने घर में शांति नहीं है तो हमारे घर में अशांति क्यों फैलाने आए हो. बड़ी मुश्किल से हमारी इज्जत बची हुई है क्यो उसे नेस्तनाबूत करने पर तुले हुए हो. अपने इज्जत को तुम कही और ढुंढ़ों यहा कोई इज्जत नहीं रहती. सांसद वहां से निराश हो कर चले गए.
ड्राइवर ने गाडी चलाया अगला पड़ाव था सर्वोच्च न्यायालय ड्राइवर ने गाड़ी को तेज करते हुए कुछ ही घंटों में गाड़ी को सर्वोच्च न्यायालय के द्वार पर ला खड़ा किया. सासंदो के नेता ने न्यायालय से सवाल पूछा कि आपने कही हमारे मान सम्मान को देखा है. सर्वोच्च न्यायालय– देखिए जनाब पहले से ही हम आपसे परेशान है. आपके ही करम है जिससे हमें लाखों तरह की याचिकाए लोगों की सुननी पड़ती है. अगर आप अपना काम करते है तो कई मुद्दों के केश हमारे पास पड़े नहीं होते. कृप्या करके आप अपने इज्जत और सम्मान को कहीं और तलाशे यहा नहीं. इस तरह से सांसदों को सर्वोच्च न्यायालय से भी फटकार मिली.
अब सांसदों ने अपनी उम्मीद की आश को लेकर राष्ट्रपति के द्वार पर पहुंचे और अपना सवाल राष्ट्रपति के सामने रखा. राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि मै तो नाममात्र की हूं. यहां तो मेरे निर्धारित काम होते है जो आप लोग निर्धारित करते है. उससे अधिक मै कुछ भी नहीं जानती, आपके मान सम्मान के बारे में क्या बता पाउंगी.
कई तरह के संवैधानिक संस्थाओं के घर की यात्रा करने के बाद अंत में सांसदों की यह गाड़ी सविधान के घर पर पहुंची. उनकों उन सब को उम्मीद थी कि उनकी समस्याओं का निवारण यहां जरूर होगा. लेकिन उनके उम्मीद पर तब पानी फिर गया जब सविधान ने उनके सभी कर्मों को एक-एक करके गिनाया जिससे देश की छवी को काफी नुकसान पहुंचा है. सविधान ने उन्हें बताया कि तुम्हारी यह स्थिति तुम्हारे अपने कर्मों की वजह से हुई है. भ्रष्टाचार और अन्य दूसरे बुरे कर्मों से ही तुम्हारी इज्जत और मान सम्मान तुमसे दूर भाग गए हैं. अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी खोई हुई मान सम्मान वापस मिल जाए तो तुम सभी सांसद मन लगाकर दिल से जनता के लिए काम करों. फिर देखना कुछ ही दिनों में मान-सम्मान वापस आ जाएगी. सविधान की बातों को सुनकर सांसदों ने निर्णय लिया कि यह तो हमारे धर्म के खिलाफ है. भ्रष्टाचार और काले धन के बिना हम जी ही नहीं सकते. इसलिए हमें इज्जत और सम्मान नहीं चाहिए हम चोर और अपराधी कहलाना ही अपने आप में गर्व महशूस करेंगे.
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