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जब कोई खिलाड़ी लगातार बुरे प्रदर्शन से गुजरता है तो समझ लेना चाहिए कि उस खिलाड़ी पर चयनकर्ताओं की गांज गिरने वाली है. उसे टीम से बाहर करने की योजना बनाई जा रही है. कुछ ऐसा ही हाल कांगेस पार्टी का ही है. बीते कई महीनों से जिस तरह से कांग्रेस की फजीहत हो रही है उससे तो यही समझा सकता है कि आने वाला भविष्य कांग्रेस के लिए सुनहरा नहीं रहने वाले. एक हार के बाद दुसरा हार दुसरे हार के बाद तीसरा हार यह कांग्रेस की आदत सी बन चुकी है, जिससे पार पाना उनके के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है.
भ्रष्टाचार, अजीब-अजीब तरह के घोटाले, महंगाई और कुशासन ने कांग्रेस के खिलाफ एक नाकारात्मक लहर सी छेड दी है. इससे कांग्रेस की शाख को काफी नुकसान पहुंचाया है. उन्हें चुनाव के हर स्तर पर हार का मुंह देखना पड़ रहा है. फिलहाल हुए पांच राज्यों के विधानसभा में कांग्रेस ने अपना पुरा दमखम दिखाया. युवराज राहुल का भविष्य दांव पर लग गया लेकिन परिणाम क्या निकला ढाक के तीन पात, कांग्रेस को इन चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा. अब हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव के परिणाम को देखकर यही कहा जा सकता है कांग्रेस का भविष्य खतरे में है.
हम कैसे भुला सकते हैं कि पिछला साल (2011) कांग्रेस के लिए सबसे पीड़ादायक साल था. जिसके दर्ज अभी भी ताजे हैं. अब तक जितने भी कांग्रेस के लिए बद्दुवाएं निकलते होंगे उनमें सबसे ज्यादा बद्दुवाएं 2011 में निकले. अन्ना और रामदेव द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने उनकी कमाई हुई इज्जत को मिट्टी में मिला दिया. देशभर में कांग्रेस पार्टी को जन विरोधी पार्टी का दर्जा दिया गया. लेकिन विडंबना तो देखिए कि भ्रष्ट पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाली कांग्रेस अपनी पिछले भूलों से सीख नहीं ले रही है. आज स्थिति यह है पार्टी अपने बुरे प्रदर्शन को बार-बार दोहरा रही है.
इस समय जरुरत है कांगेस को पार्टी और सरकार स्तर पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने की. जन हित संबंधित लंबित पड़े विधेयक को जल्द से जल्द से पास करना पड़ेगा, भ्रष्टाचार और महंगाई पर लगाम लगाने के लिए दृढ इच्छाश्क्ति पैदा करनी पड़ेगी. उसे अपने अंदर जन कल्याण की भावना फिर से जगना होगा. क्योकि 2014 दूर नहीं हैं कांग्रेस को खतरे की घंटी की आवाज सुननी पड़ेगी और उस पर जल्द से जल्द अमल में लाना पड़ेगा.
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