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65 साल बाद भी वही है ‘बिजली’

एक नजर इधर भी
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भारत में बिजली का हाल किसी से छुपा नहीं है आज आजादी के 65 साल बाद भी बिजली को लेकर भारत के सामने कई समस्याएं हैं जिस पर सरकार भी अभी तक गंभीर दिखाई नहीं दे रही है. पिछले दो दिनों से पूरे उत्तर भारत में बिजली को लेकर कोहराम मचा हुआ है. उत्तरी-पूर्वी ग्रिड फेल बताया जा रहा है. ग्रिड फेल होने की घटना पिछले 24 घंटों में दूसरी बार है.


वैसे तो भारतीय सरकार विश्व पटल पर भारत का बखान एक ऐसे देश के बारे करता है जहां पर विश्व स्तर की सुविधाएं हो, जहां पर हर कोई अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हो लेकिन वास्तविकता इससे परे है. भारत आज भी बुनियादी सुविधाए देने में असफल साबित हुआ है पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य में भारत की तुलना विकसित देशों से नहीं की जा सकती है.


अब बिजली को ही ले लिजिए. भारत के कई गांव आज भी ताप और जल से मिलने वाली विधुत से महरुम है. जिस क्षेत्र में बिजली पहुंच भी गई है वहां के लोग कई सालों से इसकी झलक ही देख रहे हैं. जब आम लोगों को दी जानी वाली बिजली की सप्लाई के बारे में बात की जाती है तो सरकारे कोयले की कमी और मानसून का बहाना करती है. वहीं जब अमीरों को बिजली की सप्लाई की जानी होती है तो सरकारे प्राथमिकता के आधार पर उन्हें बिजली उपलब्ध कराती है. निजीकरण के दौर में बिजली कंपनियों द्वारा भी गरीब एवं छोटे ग्राहकों को बिजली सप्लाई में रुचि नहीं ली जाती है.


बिजली पर बनाई गई नीति आम आदमी के लिए हर तरह से नुकसान देह है एक तो उसे उपयुक्त बिजली नहीं मिलती दूसरे जिस क्षेत्र में बिजली का उत्पादन किया जाता है कही न कही वह आम आदमी के क्षेत्र में ही आता है जहा उन्हें पर्यावरणीय दुष्प्रभावों की मार झेलनी पड़ती है. भारत में आज परमाणु बिजली की बात की जा रही है जिसका देश में कई जगह विरोध भी किया जा रहा है. अगर देश में परमाणु बिजली का उत्पादन भी होता है तो उसको लेकर योजनाए अमीरों को जहन में रखते हुए बनाए जाएंगे.


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